नून के पाग – रश्मि प्रियदर्शनी
झूठ के साच बतावत रहीं,
नून के पाग बनावत रहीं।
रऊआ त हईं नट के राजा,
अंगुरी प सबके नचावत रहीं
नून के पाग बनावत रहीं॥
हमरो से नेह, उनको से यारी
मुहवा प मीठ, पाछे कटारी
भाषण के धार बड़ा दुधारी
झूठ के राग बजावत रहीं
बतियन के अपना जादूगरी में
हसावत रही,रोवावत रही।
नून के पाग बनावत रहीं॥
वादा,भरोसा आ राउर दिलासा,
छन में आस , छन में निरासा,
‘खटिया पे चर्चा’ करावत रहीं’
सब मिले हैं जी’ गीत गावत रहीं,
‘अच्छा दिन’ के जुमला सुनावत रहीं,
एही तरे सबके पोल्हावत रहीं।
नून के पाग बनावत रहीं॥