प्रार्थना सरस्वती जी की/ अनुरागी
कहवा बाड़ ू शारद माई
देतू आपनझलक देखाई
घट में हो जाइत उजियार
पराइत पल में मोह अन्हार
सूझित सहजे भाव अपार
रचना होइत रस के धार
तोहरी चरन कमल परि जाई
कहवाँ बाँड़ ू शारद माई
कहवा बाड़ ू शारद माई
देतू आपनझलक देखाई
घट में हो जाइत उजियार
पराइत पल में मोह अन्हार
सूझित सहजे भाव अपार
रचना होइत रस के धार
तोहरी चरन कमल परि जाई
कहवाँ बाँड़ ू शारद माई