बाह रे जमाना…/ सुजीत सिंह
बाह रे जमाना इ त,
हद हो गइल।
मेहरारू के आगे माई,
रदद् हो गइल।।
छोह मउगी से प्यार,
माई पावे दुत्कार।
माई बाटे मोहताज,
मेहर मुरीया के ताज।
ममतामयी माई आज,
बद्द हो गइल।
मेहरारू के आगे माई,
रदद् हो गइल।
बाह रे जमाना इ त,
हद हो गइल।
मेहरारू के आगे माई,
रदद् हो गइल।।
छोह मउगी से प्यार,
माई पावे दुत्कार।
माई बाटे मोहताज,
मेहर मुरीया के ताज।
ममतामयी माई आज,
बद्द हो गइल।
मेहरारू के आगे माई,
रदद् हो गइल।