बिना भजन भगवान राम बिनु के तरिहें भवसागर हो / टेकमन राम

बिना भजन भगवान राम बिनु के तरिहें भवसागर हो।।
पुरइन पात रहे जल भीतर करत पसारा हो
बून्द परे जापर ठहरत नाहीं ढरिकि जात जइसे पारा हो।।
तिरिया एक रहे पतिबरता पतिबचन नहिं टारा हो
आपु तरे पति को तारे तारे कुल परिवारा हो।।
सुरमा एक रहे रन भीतर पीछा पगु ना धारा हो
जाके सुरतिया हव लड़ने में प्रेम मगन ललकारा हो।।
लोभ मोह के नदी बहत बा लछ चौरासी धारा हो
सीरी टेकमन महराज भीखम सामी कोई उतरे संत हो।।

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