माई / कनक किशोर 

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तोहार अँचरा के छंहिया भुलाई कइसे माई |

रगे रगे बसेला तोहारे खून देहिया में
सब सुख पवनी हम तोहरे बहिया में
रात भर जागि जागि हमके सुतवलू तू
हमरो गलतिया के सबसे छुपवलू तू
साँच ह ई बतिया सुन मोर बिपतिया
तोहार आजो फाटे छतिया भुलाई कइसे माई ।

खुदे भूखे रहिके पुअवा खियवलू तू
धुरी सुती अपने पलंग पर सुतवलू तू
तपत बुखरवा में राती भर जागी के तू
लोरिया सुनावत छाती से सटवलू तू
मानीं नाहीं बतिया तनिको ना बुरा मान
सब सह हमरो अबटिया भुलाई कइसे माई ।

तोहरे में देखीं हम सब देवी-देवता
तोहरे चरनिया में सब बा तीरथवा
बिना माँगे पूरा कइलू सब अरमनवाँ तू
आजो देलू खाँची भर खूब रे आशीषवा
तोहरे आशीषवा से हम त जुड़ाईं गइनी
सपनो में देखिला तोहरे सूरतिया भुलाई कइसे माई |

छाँह तोहार अँचरा के हम पर बनल रहे
सुतत जागत तोहरे इयाद करीं माई!
असहीं आशीषवा त तोहरो बनल रहे
इहे त बा एके अरमनवाँ ए माई !
पूरी हमार इहो अरमनवाँ भुलाईं कइसे माई |

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माई / कनक किशोर - भोजपुरी मंथन