सावन – गुलरेज शहजाद

Image

सावन – गुलरेज शहजाद

“बदरी के बदरा पिठियवलस”
श्याम रंग में मौसम गावे
आसमान के खोंखी उखड़ल
लागल बरसे झमझम बूनी
लागे जइसे छमछम करत
गोरिया अइली
जंगला धइले देखs तानीं
आई हो दादा
आहा हा हा ….

पड़ल जे छिंटका बूनी के
मुंह पर लागल
अमरित गिरल
पपनी पर पपनी सटियाइल
सिहक गइल देहिया,भितरी
गुद्गुद्दी उपिटल

फुहियाता ई बूनी खाली
बहरे नाहीं
हमरो भीतर
बून-बून के झांझर बाजे
एह लय में आ ताल में हमरो
मन के माटी भींज गइल बा
बाहर भीतर सभे गीले गील भइल बा

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सावन – गुलरेज शहजाद - भोजपुरी मंथन