हे मन रामनाम चित धौबे / भीखा साहब

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हे मन रामनाम चित धौबे / भीखा साहब

हे मन रामनाम चित धौबे।।
काहे इतउत धाइ मरत हव अवसिंक भजन राम से धौबे।
गुरु परताप साधु के संगति नाम पदारथ रुचि से खौबे।।
सुरति निरति अंतर लव लावे अनहद नाद गगन घर जौबे।
रमता राम-सकल घर व्यापक नाम अनन्त एक ठहरौबे।।
तहाँ गये जगसों जर टूटत तीनतान गुन औगुन नसौबे।
जन्मस्थान खानपुर बोहना सेवत चरन भिखानन्द चौबे।।

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हे मन रामनाम चित धौबे / भीखा साहब - भोजपुरी मंथन