भोजपुरी मंथन

फेर काँहे सुनेनी हम तोहार बतिया/ राजीव उपाध्याय

भोजपुरी मंथन

फेर काँहे सुनेनी हम तोहार बतिया/ राजीव उपाध्याय

उठि सूती पूछे मन, एगो हमसे बतिया
काहे खाती दिन बावे, काँहे खाती रतिया॥

रोज भिंसहरे काँहे, किरिन सूरुजवा
अउरी अन्हियारा, काँहे रोजे-रोजे रतिया॥

काँहे लोग मिलेला, अउरी जाला कहवाँ
फेर गीतिया सुनावेला, हमके दिन-रतिया॥

इहे साँच बावे कि, हम नाही केहू हवीं
फेर काँहे सुनेनी, हम तोहार बतिया॥

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