भोजपुरी मंथन

भरोसा/ गुरुविन्दर सिंह

भरोसा/ गुरुविन्दर सिंह

राह-घाट लउके ना, छपलसि अन्हरिया,
झिमिर-झिमिर बरसेले करिया बदरिया।

खेतवा में मकई के गाड़ल मचानी
सूतेला जाके बलमु अभिमानी
निनिया उड़ावेले चिन्ता-फिकिरिया।

डर लागे रतिया के सियरा-हुँड़रवा
ओहू ले उप्पर मुदइयन के डरवा
मेघवा के गड़गड़ में चिहुँके बिजुरिया।

कहे बदे हीत-मीत,टोला-परोसा
एह जुग में केकर बा कवन भरोसा
बेरा प’फेरेला लोगवा नजरिया।
झिमिर-झिमिर बरसेले करिया बदरिया।

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