भोजपुरी मंथन

अधिगत जागल हो सजनी – संत गुलाल साहब

भोजपुरी मंथन

अधिगत जागल हो सजनी – संत गुलाल साहब

अधिगत जागल हो सजनी।

खोजत-खोजत सतगुरु पावल
ताहि चरनवाँ चितवा लागल हो सजनी॥

साँझि समय उठि दीपक बारल
करमवा मनुबाँ पागल हो सजनी॥

चललि उबटि बाट, छुटलि दकल घाट
गरजि गगनवा अनहद बाजल हो सजनी॥

गइली अनँदपुर भइली अगम सूर
जितली मैदनवाँ नेजवा गाड़ल हो सजनी॥

कहै गुलाल हम प्रभुजी पावल
फरल लिलरवा पपवा भागल हो सजनी॥

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