भोजपुरी मंथन

आइल बिया पतिया/ शम्भुनाथ उपाध्याय

भोजपुरी मंथन

आइल बिया पतिया/ शम्भुनाथ उपाध्याय

आइल बिया पतिया केहू पढ़े वाला नइखे
मनवा दोचित बाटे ।

ना जाने बा कइसन समाचार- मनवा दोचित बाटे ।
सीमावाँ पर सँइया हमरो दुसमन से जुझेले
देसवा से बढ़ि के दोसर कुछऊ ना बूझेले
जानवा हथेली पर ले रहेले तेयार – मनवा…..

सँझिया खा बबुआ इसकूलवा से आइल
चीठी पढ़ि बाबूजी के खूब अगराइल
कहे लागल माई हमहू लेइबि हथियार
झूठे दोचित बाडू, शुभे शुभ बाटे समाचार । झूठे.

झंडा ले तिरंगा जइहें पाक राजधानी
तबे परवेज जी का याद आई नानी
तोपवा से छोड़त बाड़े गोला धुँआधार । झूठे..

घर-घर से लरिका बोलले देइबि कुरवानी
देसवा ना रही तऽई का होई जवानी
सेनवा में भरती खातिर, भइल भरमार। झूठे….

होइहें जो शहीद पापा सगरी पुजइहें
सरग में मंगल पाँडे गरवा लगइहें
सभे उनका संगे तहरो करी जयकार झूठे ….

जानेला जहान वलिदानी हंवे बलिया
बूढ़न में भरल रवानी हवे बलिया
एही जागो हारलि पहिले ब्रिटिश सरकार झूठे.

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