भोजपुरी मंथन

काहे ना दिल्ली कुच हो/ श्वेताभ रंजन

भोजपुरी मंथन

काहे ना दिल्ली कुच हो/ श्वेताभ रंजन

काहे ना दिल्ली कुच हो

भोजपुरी माई के माथ ऊँच हो

काहे ना दिल्ली कुच हो

थक गइल माई के जोर हो

रुक गइल फइलल अँजोर हो

काहे ना दिल्ली कुच हो

भोजपुरी माई के माथ ऊँच हो

संसद से ले के सड़क तक

काहे ना अब इ शोर हो

काहे ना दिल्ली कुच हो

भोजपुरी माई के माथ ऊँच हो

रुक जवान सुन जवार

देख तू आपन धुरा के

जड़ छोड़ रहल उ पीड़ा के

उठ जोर लगा तू भाषा के

देख लोगन के आशा के

काहे ना दिल्ली कुच हो

भोजपुरी माई के माथ ऊँच हो

अब रण समझ ,इ छण समझ

अब भोजपुरिया हरकत समझ

अब दया नाही ,अधिकार चाही

भोजपुरी के सम्मान चाही

काहे ना दिल्ली कुच हो

भोजपुरी माई के माथ ऊँच हो

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