खाली बा देश – अरुण शीतांश
अहो खेतवो अभी खाली बा
देशवो अभी खाली बा
कबले खाली रही
मनवा हमार।
मन में कईगो परानी बाड़ी जा
लोग बाड़न
उनकर भी मन खाली बा
खाली बा खलिहान
ओखर
पोखर
सब खाली बा।
एह घरी
रात दिन खाली बा
सामने के दरिया
आंखी सोझा थरिया
सब खाली बा
अक्षर ,शब्द, वाक्य
आ भाव खाली बा
देश के फूल में सुंगध खाली बा
खाली बा बाग बगीचा
खाली बा
बेड गलीचा।