खुब्बे फुलाइल बा सरसो, ओढ़ले बाटे सेमर लाल दुलाई।
बारी में कोइलि बोलतिया महुआ के टपाटप देत सुनाई।।
के मोरा झाँझ मृदंग बजाई आ के संग झुमिके गाई।
के पिचकारी चला-चला मारी आ के अँगना में अबीर उड़ाई।।
खुब्बे फुलाइल बा सरसो, ओढ़ले बाटे सेमर लाल दुलाई / मन्नन द्विवेदी ‘गजपुरी’
