भोजपुरी मंथन

चीन्हे के परेला/विजय मिश्र 

भोजपुरी मंथन

चीन्हे के परेला/विजय मिश्र 

मुरुगा का बोलले सबेर ना होला ।
कोरा के कुकुर से अहेर ना होला ।।
अदिमी बेलूर के बोझ हो जाला
घर सम्हारे वाला सोझ हो जाला
अड़ बड़ पS विगरे में देर ना होला ।।
इरादा ना लगन, काम चली कइसे
आस जब ले अनकर बात बनी कइसे
हुल्लास मन से कइल अनेर ना होला ।।
जेकर भंडार हमेशा भरल रहेला
ऊ हर काम के सही ढंग से करेला
ऊपर केहू अलग कुबेर ना होला ।
आँहु जाँहु में परले काम रुक जाला
तनिए तनि खातिर खेलाडी चुकि जाला
हार जीत में अन्तर ढेर ना होला ।
अइसे तऽ बहुत लोग मर्दे बनेला
मोका के केहS चीन्हे के परेला
खोजला पर सभे दिलेर ना होला ।
कोरा के कुकुर से अहेर ना होला ।।

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