भोजपुरी मंथन

जवना से तौबा कइले रहनी/ संग्राम ओझा “भावेश”

जवना से तौबा कइले रहनी/संग्राम ओझा “भावेश”

पडे ना देब ओकर छाया हो,
अब फेर भइल उहे गलती,
बेवकुफ बानी की बेहाया हो?

हम प्रित में धोखा पवले रहनी,
तब मन हमार बउराइल रहे,
काहे के कइनी प्रित उनसे,
का माथा में हमरा समाईल रहे?
वादा रहे खुद से प्रित ना होई,
अब समझ ना पाई माया हो,
फेरु नया प्यार में धरा गइनी,
बेवकुफ बानी की बेहाया हो?

उनकर कुछ गलती याद आवे,
त प्रित से मन मोर काँप जाला,
बाकिर इनकर बा काम अनोखा,
सब संका के हमरी ढ़ाँप जाला,
हमरा नियरा ई रहस हरदम,
जइसे होखस मोर साया हो,
हम नया प्यार में धरा गइनी,
बेवकुफ बानी की बेहाया हो?

उनकर धोखा औरी इनके वफा,
बीचें में हम अटकल बानी,
प्रित ना करे के रहे कबो,
कइनी हम,फेर भटकल बानी,
उनके सुरत देखी ख़ीस बरे,
इनके जब देखी,आवे दया हो,
फेरु नया प्यार में धरा गइनी,
बेवकुफ बानी की बेहाया हो?

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