भोजपुरी मंथन

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

भोजपुरी मंथन

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;
दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ ।

सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;
बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ ।

काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;
हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1

बाबू ना भइया, जग में रुपइया ।
इहे ना रहे त के पुछवइया ?

नीती ना धरम, घूस असल करम ;
दोसर अपहरन, एमें का शरम ?

एहू से बढ़िया आउर एगो काम बा;
ओकरा में एही रवानी फायदा आ दाम बा ।

करऽ रंगदारी, मेटावऽ बेकारी;
इहो सफलता के बढ़िया सवारी ।

फायदा उठाव खुशी-खुशी गावs ;
घरे आ बाहर जुग पुरुष कहावऽ 1

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