दूध के धोवल केहु नईखे/ कन्हैया प्रसाद तिवारी
दूध के धोवल केहू नईखे, सबके मगज में खोट बा।
जुबान के इज्जत केहू करे ना, सबके नजर में नोट बा॥
नोट के खातिर आपन अनकर, लोग भुलाईल कान्ह।
तन के माटी सभे सँवारे, तू प्रेम के गाँठरी के बान्ह॥
बिष कुंभ में क्षीर भरल बा, नीर आँख से टपकत बा।
अनकर सेनुर राह चलत में, लोगवा काहें लपकत बा॥