भोजपुरी मंथन

पूंजीवाद अधीर/ कनक किशोर

भोजपुरी मंथन

पूंजीवाद अधीर/ कनक किशोर

नया जुग बा संचय लोलुप
लोकतंत्र बधिर
पूंजीवाद अधीर।

खूब बढ़ल आजु संसाधन
टेक्नोलॉजी भरपूर
दरकत लोकतंत्र के खंभा
सब केहू के कसूर
धन कुबेर राजनीति प हाबी
समय के तासीर
पूंजीवाद अधीर।

बाजारवाद के राहि में बनल
लोकतंत्र बा रोड़ा
काबू पावे खातिर ओह पर
अधिनायक के कोड़ा
आज्ञापालक परजा चाहीं
तानाशाह नाजिर
पूंजीवाद अधीर।

दक्षिणपंथ के ओरि रूझान
केहू एक ना दोषी
व्यक्ति विशेष निमित्त मात्र
बेवसथा सचहूं दोषी
लोकतंत्र पर काबू खातिर
चाहीं एक शातिर
पूंजीवाद अधीर।

धनकुबेर चाहेला हुकूमत
सब दिन अपना हाथे
पूंजी बल पर देश नियंत्रण
शासन के बल साधे
गाफा संसाधन बल आगे
लागे देश फकीर
पूंजीवाद अधीर।
( गाफा – गुगल, ऍपल, फेसबुक आ अमेजॉन )

आज जरूरत बा पूंजी के
बाहुबली अधिनायक
आवारा संसद बल साधे
साथ ले धर्म के नायक
मीडिया झूठा बात बघारे
सांच के आगे लकीर
पूंजीवाद अधीर।

दरक रहल आज लोकतंत्र
खतरा मे देश समाज
पूंजी आ संचार मिलल बा
सूनीं ओकर आगाज
शक्ति लोलुप पूंजी आ सत्ता
बना रहल तकदीर
पूंजीवाद अधीर।

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