बताई के/ आर. डी. एन. श्रीवास्तव

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बताई के/ आर. डी. एन. श्रीवास्तव

काने में ढोल बजाई के
सभकर नाव बताई के॥

तस से भाईचारा क लीं
त हमके गरिआई के॥

नेतवे जब खइहें दुबरा संग
काटी दूध मलाई के॥

जे के देख ऊ काकी ह
गांव में अब भउजाई के॥

खेते में जब भूखिए ऊगी
मेंड के कगरी जाई के॥

इ समाजबादी नेयाऊ ह
खाई के आ मोटाई के॥

जब सभे ‘इस्पीचे’ देई
थपरी उहाँ बजाई के॥

अब ऊ एक से दू हो गइल
दादा के आ भाई के॥

चुनि के त हम भेजल बानी
संसद में अँउघाई के॥

केहू के जब होसे नइखे
केकर पता बताई के॥

ऊ त अमौसा के जनमल ह
ओकरा पर पतिआई के॥

साहूए जब डांडी मरिहें
चोरवन के लतिआई के॥

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बताई के/ आर. डी. एन. श्रीवास्तव – भोजपुरी मंथन