भोजपुरी मंथन

बाँसुरी मन के रोवे गजवला बिना / ब्रजकिशोर दूबे

बाँसुरी मन के रोवे गजवला बिना / ब्रजकिशोर दूबे

बाँसुरी मन के रोवे गजवला बिना।
गीत लोर हो गइल सब सुनवला बिना।।
आँगन में साधन के दियना बराइल
असरा के बाजी प जिनिगी धराइल
फूल कुम्हिला गइल सब चढ़वला बिना। बाँसुरी…..

ललसा के लत्तर बराबर फुलाइल
लाखन बे-सरधा के गंगा फफाइल
नेह-बिरवा सुखाइल पटवला बिना। बाँसुरी…..

सबुरो के डढ़िया टिकोरवा ना आइल
डँहकत परनवाँ उमिरिया ओराइल
रोज छछनेला जियरा जुड़वला। बाँसुरी…..

हँसलीं त बाकिर ऊ हँसिया छिनाइल
हमरा जिनिगिया के सरबस बिलाइल
मेघ उमड़ल ना धरती तपवला बिना। बाँसुरी…..

आइल अँजोरिया ना तनिको बुझाइल
केकरा सरपला से जिनिगी डहाइल
साध-सुगना ना बोला पढ़वला बिना। बाँसुरी…..

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