भोजपुरी मंथन

बेंच दिहले बाबूजी हमर गोयड़ा घराड़ी/ रामप्रसाद साह

भोजपुरी मंथन

बेंच दिहले बाबूजी हमर गोयड़ा घराड़ी/ रामप्रसाद साह

बेंच दिहले बाबूजी हमर गोयड़ा घराड़ी
नगद मांगे बेटाहा लड़की बाटे कुंवारी

ले ले बाटे नगदी तावातोड़ फरमाइस
घोड़ा चढी बेटवा अपने रही साइस
उनइस बीस मानी ना तेरह बाइस
बेटा बेंचुवा लोग के बड़ी बड़ी खोवाइस
दू दर्जन गाड़ी आई साटा बा तइयारी
बेंच दिहले——–

खेत बेंचले जहाँ उपजे सोना चानी
उनका कोखी गुलर फूल सास बाड़ी रानी
मिल जाई पोसल पासल पढल नौकरानी
सोफा पर सास बइठी दहेज के कहानी
दिनरात कपार ठेठाई कम मिलल हजारी
बेंच दिहले …..

खोबसन दिनभर चली भिंज जाई सिहानी
ननदी के बात सुन सुनगुनावन परेसानी
लेन देन के बात जहाँ कुलफुत छुटी ना
बेटी के नतिजा होई बाँची बुटी बुटी ना
धन धरम दूनू गइल दहेज के बेमारी
बेंच दिहले ———–

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