भोजपुरी मंथन

भयावह कइलs ना/ हीरा प्रसाद ठाकुर

भोजपुरी मंथन

भयावह कइलs ना/ हीरा प्रसाद ठाकुर

ए बबुआ
बाबूजी के राखs तू पगरिया
डगरिया भेयावह कइलs ना । 2
डगरिया भेयावह…….. । ए बबुआ

भरि अंकवार कहाँ ना खेलवलें
कवन ना कइलें ऊ जोगरिया -2

ओकरा उपर गाज गिरवलs
असरा में खिचलs डंरिया । डगरिया-
कवन अधामत ना ऊ जोगवलें
तजी देलें सुख के पोटरिया -2

कइल – धइल सब भइल बहारन
फेंक देलs घर के बहरिया । डगरिया-
कहवाँ के करजा कइसे उतरलें
तनिको ना भइलें ऊ बावरिया – 2

पवलs जवानी गरभ दुख विसरल
उपरा से मारेलऽ ठोकरिया । डगरिया –
कहवाँ के सूझ पनखी बनि लहसल
एकरा पर कर तू विचरिया – 2

ना त ए बाबू हीरा के ह उकति
पईंचा पर लागी ना नजरिया । डगरिया-

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