भावी बहू/ शीतल प्रसाद दुबे
गोरिया पातर धप-धप गोर ।
मुखवा चमके चाँद जोत जस, अखियाँ कमल किशोर,
दतवा हवे अनार के दाना, लोगवा चाहेला बटोर ।
गोरिया पातर……. ।
करीया केश, अधखुलल नयन, रस भरल ओठ, कोमल कपोल,
सहम जाली डरल हरिणी जस, खींचे रसिक भरि जोर ।
गोरिया पातर……. |
चाल चलेली धीरे हथिनी जस, चितवत केहरि आँख,
पवन मंद ओह देहि सुगंध के, बाँटत मुक्त अथोर ।
गोरिया पातर.. I
नयन भ्रमर पीछे-पीछे, अरु हाथ परस सपनावे,
थाकल, दुखी उल्लास से देखे, जैसे चन्द्र चकोर ।
गोरिया पातर…….
पद – पायल से झरे सात स्वर, मुख बीना के बोल
परम पिआसल प्रेमी हिया में, उत्कंठा अति जोर ।
गोरिया पातर……. ।