भोजपुरी मंथन

रोकल पानी/ रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई’

भोजपुरी मंथन

रोकल पानी/ रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई’

परिछन के चुनरी में कप्फन क पेंवना ई
ऊपर से राम नाम, नीचे सब अपना ई

अपनन से कटे दीं
रटत बारटे दीं
असरा क ओढ़ना सब
फाटत बा फटे दीं

टूटि गइल, फूटि गइल इज्जत क ढपना ई

बहंगी पर टांगल बा
स्थिर बा, बान्हल बा
मुड़रा पर छोट-छोट
पीपर कुछ जामल बा

चिंहुकल बा फिर केहू भर आंखी सपना ई

इहां गिरल उहां गिरल
होम करत हाथ जरल
रसदार रसगर बनि
डारिन से कुलि झरल

जुग जुग से सिरजत बा जोगवल दुरघटना ई

सोना हो चानी हो
राजा की रानी हो
इतिहासे क प्रमाण
चाहे कहानी हो

अतना मटमइल बा जुगधर्मी नपना ई

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