सागर से भेंट/ डॉ॰ शारदा पाण्डेय
सुख तबले बाँझं रही,
जब ले दुःख से बतिआई ना ।
जगि त ईहे ह कि
जमुना के धार, गंगा में समाई
तवे ओकरा के सागर भेंटाई ॥
सुख तबले बाँझं रही,
जब ले दुःख से बतिआई ना ।
जगि त ईहे ह कि
जमुना के धार, गंगा में समाई
तवे ओकरा के सागर भेंटाई ॥