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भारत से इंडिया ले/ प्रिंस रितुराज दुबे

adminSep 26, 20242 min read

जवन भारत सभ्यता आ संस्कृति कऽ केंद्र होत रहेआज उऽ फूहर इंडिया हो गईल बा | जेकरा के मर्यादा आ सुनरता के जननी बुझल जात रहेआज उऽ अश्लीलता के मास्टर हो गईल बा | भारत आज भारत ना रहल इंडिया…

चम्पारन के देखीं हाल / पं. चतुर्भुज मिश्र

adminSep 20, 20241 min read

चम्पारन के देखीं हाल ।मन-चित लाई सुनी हवाल ॥सोमेश्वर के ई धरती हऽ परम पूज मनभावनचम्पा के जगल के कारण नाम परल चम्पारणपश्चिम दक्खिन बहे गंडकी उत्तर में बाटे नेपाल ।चम्पारन के देखीं हाल । रंग बिरंगी ई धरती हऽ…

गुरु सुमीरन/ डॉ गोपाल ठाकुर

adminSep 30, 20241 min read

सुमिरन कर ले गुरुजन केनिरमल कर ले निज मन के हटल अऩरिआ हिरदय सेकिरिन फुटवलें सिखवन के कहत करत जे भर जिनगीतन अइसन जे गुरुजनके करम पुजन के पथ चलकेसुमिरत चल ओ गुरुजन के

बताई के/ आर. डी. एन. श्रीवास्तव

adminSep 26, 20241 min read

काने में ढोल बजाई केसभकर नाव बताई के॥ तस से भाईचारा क लींत हमके गरिआई के॥ नेतवे जब खइहें दुबरा संगकाटी दूध मलाई के॥ जे के देख ऊ काकी हगांव में अब भउजाई के॥ खेते में जब भूखिए ऊगीमेंड के…

सृजन गीत / उमाकान्त वर्मा

adminSep 18, 20241 min read

याद झरत अँजुरी में,गंध भरल अँगुरी में,पोर-पोर सपना कोंचिआइलटहनी के टूसवा टुसिआइल।नदिया के घाटी में लहरा बाताल देत छनद बड़ा गहरा बाअर्थ भरल रात गइराइलटहनी के टुसवा टुसिआइल।बहक रहल मधुआइल छहियाँ बा,सहक रहल बउराइल बँहिया बा,काँपत बा बिजुरी अगुताइल,टहनी के…

कविता

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आवे बसन्त दुअरिया /…

आवे बसन्त दुअरियामगन मन नाचले गोरिया।मधुरे पवन रस बेनियाँ डोलावेनदिया…

आस सगरी गरीबन कऽ…

आस सगरी गरीबन कऽ…

जइसे पपिहा कऽ जिनगी सेवाती हवेआस सगरी गरीबन कऽ थाती…

इकिसवी सदी में चलल…

इकिसवी सदी में चलल…

इकिसवी सदी में चलल गांव देखींगरीबी लाचारी से भरल गांव…

इनरा मरि गइल /…

इनरा मरि गइल /…

कहीं होत होई नादानीबाकिरहमरा गाँवे तऽइनरा के पानीसभे पीयेसबके असरा…

गीत

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

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धर्माचरण/ प्रभास चन्द्र कुमार सिंह

धर्माचरण/ प्रभास चन्द्र कुमार सिंह

adminOct 4, 20241 min read

सिख मुसलमान जहाँ, इसाई हिन्दूवान जहाँ,रहत भी समान जहाँ, उहे बिहार ह5 | आदिवासी थारु जहाँ, उराँव संथारू जहाँ,चेरो खरवारू जहाँ, उहे बिहार हऽ । धार्मिक त्योहार जहाँ, उत्सव लोकाचार जहाँ,सौहार्द्र-व्यवहार जहाँ, उहे बिहार हऽ आपसी सद्भाव जहाँ, हेल-मेल भाव…

सखी हमरो बलम/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

सखी हमरो बलम/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

adminOct 4, 20241 min read

सखी, हमरो बलम,कारखाना में काम करेलन । कारखाना जाइ के लोहा बनावेलन,लोहा बनाई देश आगे बढ़ावेलन,देश के खातिर पसीना बहावेलन,देशवा के खातिर जीवन अपरन ।सखी, हमरो बलम | कन्हियाँ पर हल लेई तोहरो सजनवाँ,अन्न उपजाव, भइले गाँव के किसनवाँ,हरवा कुदरिया…