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केतना कदम के डार हम रहनी अगोर के

केतना कदम के डार हम रहनी अगोर के

केतना कदम के डार हम रहनी अगोर केतबहूँ तोहार बाँसुरी बाजल न भोर के कब तक घिरल अन्हार में कलपत रही करेजकब तक सनेह के किरिन उतरी अंजोर के ? जब तक तोहार प्रान में नइखे दरद के मोलहम का करब…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं तोपल-ढांकल त मुश्किल बा,का कहीं?? माथ पर ईंटा, कबों सिरमिट के तागड़ी बा ।आँखि में लोर,मन में पीरा बा, का कहीं ?? कबों-कबों,किस्मति के पत्थरो ऊ तूरति बा ।मजदूरिनि ह,काम त करहीं के…

कढ़ावल प्रीत के के गीत निसबद रात में इहवाँ…

कढ़ावल प्रीत के के गीत निसबद रात में इहवाँ…

कढ़ावल प्रीत के के गीत निसबद रात में इहवाँभरल के नेह के मोती नयन के प्रात में इहवाँ इयादन से रहीं हम भरत सुनहट जिन्दगानी मेंपता ना सोच के का लोग बइठल घात में इहवाँ ना थिरकल पाँव, बोलल ना…

ओठ पर अब कहाँ दुआ बाटे / बच्चू पाण्डेय

ओठ पर अब कहाँ दुआ बाटे / बच्चू पाण्डेय

ओठ पर अब कहाँ दुआ बाटे,शब्द के दर्द के धुआँ बाटे।डेग कहँवा धरीं, बड़ा मुश्किल,हर तरफ बस कुँआ-कुँआ बाटे।भीड़ में बात के वजन का बा,शोर खाली हुआँ-हुआँ बाटे।एक पनघट हजार बा गगरी,हमरा लोटा के ना ठुआ बाटे।कबहूँ डगरा में, सूप…

ई त दिअना ह जिनगी के जरबे करी /…

ई त दिअना ह जिनगी के जरबे करी /…

ई त दिअना ह जिनगी के जरबे करीकहियो मन के भरमवा त मेटबे करी अब गन्हाइल ई पोखर बदले के बाबा जे मछरी सड़लकी ऊ डहबे करी हकवा हड़पे के आदत में जे बा पड़ललोगवा बहियाँ मरोड़ि हकवा लिहबे करी…

आजादी के जश्‍न मनउला के दिन बाटे आज/ देवकांत…

आजादी के जश्‍न मनउला के दिन बाटे आज/ देवकांत…

adminOct 7, 20241 min read

आजादी के जश्‍न मनउला के दिन बाटे आजगली गली झंडा फहरउला के दिन बाटे आजजे सीना पर गोली खा के आजादी ले आइलओ बीरन के गाथा गउला के दिन बाटे आज ।­­सत्‍तावन में गदर भइल उ घाही मन के पीर…

आजकल त ज़माना बा राउर / आसिफ रोहतासवी

आजकल त ज़माना बा राउर / आसिफ रोहतासवी

आजकल त ज़माना बा राउरगाँव संउसे दीवाना बा राउर खेत-खरिहान खोरी बगइचाअब त सगरे सिवाना बा राउर बेवफाई प नइखी चीहाईलई त आदत पुराना बा राउर आँख काजर करे में खोदाइलई त रोवल बहाना बा राउर पल में ‘ आसिफ’…

आँख में आके बस गइल केहू / दिनेश ‘भ्रमर’

आँख में आके बस गइल केहू / दिनेश ‘भ्रमर’

आँख में आके बस गइल केहूप्रान हमरो परस गइल केहू हमरे लीपल-पोतल अँगनवाँ मेंबन के बदरा बरस गइल केहू गोर चनवा पे ई सॉवर अँधेरादेखि के बा तरस गइल केहू फूल त काँट से ना कहलस कुछझूठे ओकरा पे हँस…

गज़ल - भोजपुरी मंथन - Page 3