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फन कढ़ले पुरवइया / कुमार विरल

कुमार विरलSep 19, 20241 min read

फन कढ़ले पुरवइया डोले फागुन साँप भइल।छनके लागल प्रान कि उलटा साँस भइल।।गाँव-नगरिया बाग-बगइचा सगरो लहर समाइल,ओठवा से मधुआ रस टपके भितरी जहर घोराइल,सरधा के कोमल पतइन के हियरा काँप गइल। फन…. फूलन के बेमार देख के भँवरा भिनके लागलतितिकी…

प्रार्थना सरस्वती जी की/ अनुरागी

प्रार्थना सरस्वती जी की/ अनुरागी

adminSep 30, 20241 min read

कहवा बाड़ ू शारद माईदेतू आपनझलक देखाई घट में हो जाइत उजियारपराइत पल में मोह अन्हार सूझित सहजे भाव अपाररचना होइत रस के धार तोहरी चरन कमल परि जाईकहवाँ बाँड़ ू शारद माई adminbhojpurimanthan.com/

प्रार्थना गणेश जी की/ अनुरागी

प्रार्थना गणेश जी की/ अनुरागी

adminSep 30, 20241 min read

राउर हाथी के मुँह एकजनावे एक से भइल अनेक रउआँ पहिलो पूज्य इकाईएसे पहिले माथ नवाई देवता दया जो होइत आजपल में पूरा होइत काज राखीं अनुरागी के टेकराउर हाथी के मुँह एक adminbhojpurimanthan.com/

पूंजीवाद अधीर/ कनक किशोर

पूंजीवाद अधीर/ कनक किशोर

adminSep 26, 20241 min read

नया जुग बा संचय लोलुपलोकतंत्र बधिरपूंजीवाद अधीर। खूब बढ़ल आजु संसाधनटेक्नोलॉजी भरपूरदरकत लोकतंत्र के खंभासब केहू के कसूरधन कुबेर राजनीति प हाबीसमय के तासीरपूंजीवाद अधीर। बाजारवाद के राहि में बनललोकतंत्र बा रोड़ाकाबू पावे खातिर ओह परअधिनायक के कोड़ाआज्ञापालक परजा चाहींतानाशाह…

पतई के जिनगी / भोलानाथ गहमरी

पतई के जिनगी / भोलानाथ गहमरी

डोलि गइल पतइन के पात-पात मन,जब से छु गइल पवन पाँव के अलम नाहींबाँह बे-सहारा,प्रान एक तिनिका परटंगि गइल बेचारा,लागि गइल अइसे में बाह रे लगन रचि गइल सिंगारसरुज-चान आसमान,जिनगी के गीत लिखेरात भर बिहान,बाँचि गइल अनजाने में बेकल नयन।…

नेहा बरसल / धीरेन्द्र बहादुर ‘चाँद’

नेहा बरसल / धीरेन्द्र बहादुर ‘चाँद’

नेहा बरसलधरती जागलजागल जन के आशागावत हँसत किरिनिया आइलभागल सघन निराशानेहा बरसल, धरती जागलआसमान सेझरल बदरवा जानऽइन्द्रदेव केफटल कलसवा मानऽमाटी केहरवाहा मचले जानऽमन में भरल हुलासानेहा बरसल, धरती जागलमन के पट परसपना जनमल जानऽरंग-रंग केरूप खिलल पहिचानचक भाग केब पलटाइल…

नेता जी (बालगीत) – अभिषेक यादव

नेता जी (बालगीत) – अभिषेक यादव

adminSep 26, 20241 min read

आवा लइको तोहे देखाई बेईमानी बे-ईमान क, नेता जी से सुसूक रहल जनता हिन्दुस्तान क॥  बड़-२ नेता बा ढुकल घोटालन के थरिया में, जनता भुईयां छछनत बा ई घुमे लो करिया में। देश-धरम क चिंता ना फिकिर बा सन्तान क,…

ना जाने जे अँखिया में केतना ले लोर बा…

ना जाने जे अँखिया में केतना ले लोर बा…

ना जाने जे अँखिया में केतना ले लोर बा।। प्यारी-प्यादी अँखिया में कारी-कारी पुतरीपलक का खोंता जइसे झाँकेली कबूतरीजेतने छलके भरि-भरि आव ओतनेना जाने नयनवाँ में केतना हिलोर बा।। नन्हीं मुटी जियरा के केतना अहेरियाकरेले अहेरि भैया दिन-दुपहरियासहत-सहत वार थाकली…

गीत - भोजपुरी मंथन - Page 4