भोजपुरी मंथन

मितऊ देहला ना जगाया / पलटूदास

मितऊ देहला ना जगाया / पलटूदास

मितऊ देहला ना जगाया; नींदिया बैरिन भैली।।
की तो जागै रोगी, की चाकर, की चोर
की तो जागै संत बिरहिया, भजन गुरु कै होये।।
स्वारथ लाय सभै मिलि जागैं, बिन स्वारथ ना कोय
पर स्वारथ को वह ना जागै, किरपा गुरु की होय।।
जागे से परलोक बनतु है, सोये बड़ दुख होय
ज्ञान सरग लिये पलटू जागै, होनी होय सो होय।।

Exit mobile version