भोजपुरी मंथन

देवी / राजकुमार प्रेमी

भोजपुरी मंथन

देवी / राजकुमार प्रेमी

गलिये – गलिये मईया घूमि घूमि देखेली,
केहू नाहीं बईठे के कहे, फुलवन्ती मईया
केहू नाहीं बइठे के कहे ।

आपन महलिया से देखलस ‘प्रेमी’ सेवक,
चलिं मईया हमरी दुआरी, भवानी मईया,
चलिं मईया हमरी दुआरी ।

बइठे के देहब मईया कुशवा के आसन,
निमियाँ के डांर पंखा डोली, जगतारण मईया,
निमियाँ के डांर पंखा डोली ।

भगती आऊ गऊआ से चरण परवारब राउर,
सरधा के फूलवा चढ़ाईब, दुख हरणी मईया,
सरधा के फूलवा चढ़ाइब ।

कुछुओ ना माँगब मईया, कुछुओ ना चाहब,
सेवा करी हिरदा जुड़ाइब सातो बहिनी,
सेवा करी हिरदा जुड़ाइब ।

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