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प्रकाश चाहीं? प्रकाश बा कहाँ? – रवीन्द्रनाथ टैगोर

adminSep 27, 20241 min read

प्रकाश चाही?प्रकाश बा कहाँ?दीया लेसे के होखेत विरहानल से लेस लऽबुताइल दीया राख के का होई?इहे लिखल रलऽ भाग में?एह से त मरन अच्छा!!आरे, जरा ल विरहानलविरह का आगी से नया जोत जागीबुताइल दीया बरे लागी।वेदना दूती गा रहल बिया-”आरे…

नेता जी (बालगीत) – अभिषेक यादव

adminSep 26, 20241 min read

आवा लइको तोहे देखाई बेईमानी बे-ईमान क, नेता जी से सुसूक रहल जनता हिन्दुस्तान क॥  बड़-२ नेता बा ढुकल घोटालन के थरिया में, जनता भुईयां छछनत बा ई घुमे लो करिया में। देश-धरम क चिंता ना फिकिर बा सन्तान क,…

आजि काल्हि गइया के दसवा के देखि-देखि / दूधनाथ उपाध्याय

adminSep 22, 20241 min read

आजि काल्हि गइया के दसवा के देखि-देखिहाइ हाइ हाइ रे फाटति बाटे छतिया। डकरि-डकरि डकरति बाटे राति दिनजीभिया निकालि के बोलति बाटे बतिया। ताहू पर हाइ निरदइया हतत बाटेगइया का लोहू से रंगत बा धरतिया। अगवाँ के दुख-दुरदसवा के सोचि-सोचिकोटि…

वृत्त वाला खेत / केशव मोहन पाण्डेय

adminSep 19, 20241 min read

सबसे उपजाऊँसबसे सयगरटोला के उत्तरगंडक के कछार मेंदूर-दूर ले विस्तारित बावृत्त वाला खेत केचैकसलहलहात स्वरुप।सभे मन से जुट जालाएके जोते, कोड़े, बोये मेंएकर विस्तारकबो मनई विहीन ना रहेलाकेहू ना केहूकवनो ना कवनोडँड़ार के बीचेलउकीए जालाकुछु सोहतकुछु बोअतअसरा के चादर ओढलेउम्मीद…

राष्ट्रगीत / पाण्डेय कपिल

adminSep 22, 20241 min read

सृष्टि में स्वर्ग जो अगर बाटेदेश भारत हमार घर बाटेछांह एकर बा हिमालय पर्वतबाड़ बाड़ब के त लहर बाटे। फूल फल पेड़ अउर पौधा सेलहलहाइल इहाँ के डर बाटेबन-खनिज-सम्पदा भरल-पूरलरत्नगर्भा इहाँ के जर बाटे। मोर पर खोल इहाँ नाचेलाइहाँ कुहूँकट…

कविता

गीत

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सखी हमरो बलम/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

सखी हमरो बलम/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

adminOct 4, 20241 min read

सखी, हमरो बलम,कारखाना में काम करेलन । कारखाना जाइ के लोहा बनावेलन,लोहा बनाई देश आगे बढ़ावेलन,देश के खातिर पसीना बहावेलन,देशवा के खातिर जीवन अपरन ।सखी, हमरो बलम | कन्हियाँ पर हल लेई तोहरो सजनवाँ,अन्न उपजाव, भइले गाँव के किसनवाँ,हरवा कुदरिया…

सामयिक रचना/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

सामयिक रचना/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

adminOct 4, 20241 min read

संसद पर कइलसजवन आतंकी चढ़ाई,ओकरो के देशवा मेंफाँसी ना दिआई ।सुरसा के मुँह असबढ़ता महंगाई,नंगा निचोड़ी काका ऊ नहाई ?सामाजिक समरसता केदेके दुहाई,आरक्षन के नाम परहोत बा लड़ाई ।पेट्रोल डीजल महंगा भइलेमहंगा भइल ढोआई,सब्जी-भाव आकास छूएका कोई खाई ?