slide 1

Image Slide 2
Image Slide 1
Image Slide 3

previous arrowprevious arrow
next arrownext arrow

फेर काँहे सुनेनी हम तोहार बतिया/ राजीव उपाध्याय

adminSep 27, 20241 min read

उठि सूती पूछे मन, एगो हमसे बतियाकाहे खाती दिन बावे, काँहे खाती रतिया॥ रोज भिंसहरे काँहे, किरिन सूरुजवाअउरी अन्हियारा, काँहे रोजे-रोजे रतिया॥ काँहे लोग मिलेला, अउरी जाला कहवाँफेर गीतिया सुनावेला, हमके दिन-रतिया॥ इहे साँच बावे कि, हम नाही केहू हवींफेर…

नेता – सूत्र/ अरुण भोजपुरी

adminOct 4, 20241 min read

टाटा-बिरला के गरीआव नेता बन जा ।घर-घर के ममिला अझुराव नेता बन जा ॥ मन्दिर-मस्जिद गिरजा गुरुद्वारा में चक चक तोहरेपहिले दंगा करवा पाछे रोवगाव नेता बन जा ॥ कोठा-कोटा कोट-कचहरी कार पचावे कोठीभुखड़न के रोटी बंटवाव नेता बन जा…

सवालन में लोकतंत्र – गंगाशरण शर्मा

adminSep 26, 20241 min read

गणित में बा आंकड़न के महत्व लोकोतंत्र में बा आंकड़न के सम्मान  बाकिर जब खेले लागनस आंकड़ा धर्म जाति संप्रदाय के गोटी मिटे लागेला सामूहिक -निरपेक्षता -एकता पिटे लागेला सद्भावना-मारयादा -सहिष्णुता  तब दरके लागेला विश्वास जनता के बेवस्था में! ———————-…

रउरा आँखिन से झर गइल पानी / जगन्नाथ

adminSep 21, 20241 min read

रउरा आँखिन से झर गइल पानीहमरा आँखिन में भर गइल पानी हमरा रोवला के अर्थ लागल हऽहमरा आँखिन के गिर गइल पानी खुद के ऐनक में देख के लागलजइसे घइलन बा पर गइल पानी जिन्दगी का निसा चढ़ल बाटेउम्र के…

नेता जी (बालगीत) – अभिषेक यादव

adminSep 26, 20241 min read

आवा लइको तोहे देखाई बेईमानी बे-ईमान क, नेता जी से सुसूक रहल जनता हिन्दुस्तान क॥  बड़-२ नेता बा ढुकल घोटालन के थरिया में, जनता भुईयां छछनत बा ई घुमे लो करिया में। देश-धरम क चिंता ना फिकिर बा सन्तान क,…

कविता

गीत

Recent

सखी हमरो बलम/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

सखी हमरो बलम/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

adminOct 4, 20241 min read

सखी, हमरो बलम,कारखाना में काम करेलन । कारखाना जाइ के लोहा बनावेलन,लोहा बनाई देश आगे बढ़ावेलन,देश के खातिर पसीना बहावेलन,देशवा के खातिर जीवन अपरन ।सखी, हमरो बलम | कन्हियाँ पर हल लेई तोहरो सजनवाँ,अन्न उपजाव, भइले गाँव के किसनवाँ,हरवा कुदरिया…

सामयिक रचना/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

सामयिक रचना/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

adminOct 4, 20241 min read

संसद पर कइलसजवन आतंकी चढ़ाई,ओकरो के देशवा मेंफाँसी ना दिआई ।सुरसा के मुँह असबढ़ता महंगाई,नंगा निचोड़ी काका ऊ नहाई ?सामाजिक समरसता केदेके दुहाई,आरक्षन के नाम परहोत बा लड़ाई ।पेट्रोल डीजल महंगा भइलेमहंगा भइल ढोआई,सब्जी-भाव आकास छूएका कोई खाई ?